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बसवराज बोम्मई
– फोटो : Social Media
विस्तार
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने अल्पसंख्यकों के लिए चार फीसदी आरक्षण खत्म करने का फैसला किया है। अब उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत लाया जाएगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बताया कि अल्पसंख्यकों के लिए चार फीसदी आरक्षण को अन्य के बीच समान रूप से वितरित किया जाएगा। इसे कर्नाटक में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के मौजूदा आरक्षण में जोड़ा जाएगा।
बता दें कि कर्नाटक में इसी साल चुनाव होने हैं। ऐसे में इस फैसले को सरकार का चुनावी दांव कहा जा रहा है। इस फैसले के बाद अब कर्नाटक में लिंगायत आरक्षण को 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया जाएगा। इसके साथ ही वोक्कालिगा समुदाय के लिए आरक्षण को चार फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने घोषणा की कि मुसलमानों को 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा पूल में स्थानांतरित किया जाएगा। मुसलमान श्रेणी 2 बी के तहत आते हैं। इस फेरबदल के बाद अब मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस कोटे से मुकाबला करना होगा, जिसमें ब्राह्मण, वैश्य, मुदलियार, जैन और अन्य शामिल हैं।
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बोम्मई ने विस्तार से बताया, धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के लिए संविधान के तहत कोई प्रावधान नहीं है। यह किसी भी राज्य में नहीं है। आंध्र प्रदेश में अदालत ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के आरक्षण को रद्द कर दिया। यहां तक की भीमराव अंबेडकर ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि आरक्षण जातियों के लिए है।
उन्होंने आगे कहा, देर-सबेर कोई धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने को चुनौती दे सकता है। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, शाब्दि अर्थों में ओबीसी आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आर्थिक मानदंड हैं, यहां तक कि अल्पसंख्यकों के लिए भी। हम अल्पसंख्यकों को चार फीसदी पूल से दस फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा में स्थानांतरित कर रहे हैं, जहां वहीं आर्थिक मानदंड रहेगा।
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